सबसे खतरनाक टेस्ट: टेस्ट क्रिकेट अकसर 4-5 दिनों तक चलता हैं हालाँकि आज हम इस लेख में एक ऐसे टेस्ट की बात करेंगे जो 62 गेंदों के बाद ही खत्म हो गया. सोचने में ये बेहद अजीब हैं लेकिन एक ही चूका हैं. आज इस लेख में हम एक ऐसे टेस्ट के बारे में जानेगे, जो अपने खेल नहीं बल्कि खिलाड़ियों की चोट के कारण याद किया जाता हैं.
साल 1998 में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच जमैका के मैदान पर खूंखार मुकाबला खेला गया था. 29 जनवरी को टेस्ट का पहला दिन था. हालाँकि पहले ही दिन ये टेस्ट खत्म करना पड़ा.
मैच में इंग्लैंड के कप्तान माइक अर्थटन ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग का फैसला किया था. कप्तान और खुद ओपनिंग करने उतरे. जबकि उनके साथ विकेटकीपर एलेक स्टीवर्ट साथ आए. वेस्टइंडीज की ओर कर्टली वाल्श और कर्टली एम्बोस की जोड़ी सामने थी. इस जोड़ी की गेंद जैसी ही पिच पर पड़ रही और माने बल्लेबाज मैदान छोड़कर भागने को तैयार हो गए थे. इसका कारण था कि गेंदबाज की तूफानी गति के साथ गेंद पिच का साथ पाकर हड्डियाँ तोड़ने पर उताऊ थी.
इस मैच में भारत का भी कनेक्शन था, दरअसल इस मैच में वेस्टइंडीज के स्टीव बकनर और भारतीय श्रीनिवास वेंकटराघवन ने अंपायरिंग की और मैच को खत्म करने का साहसिक फैसला लिया था. हड्डियाँ तोड़ने वाले इस मैच को अंपायर ने 62 गेंदों के बाद खत्म करने का फैसला किया. हालाँकि तब तक सलामी बल्लेबाज माइक अर्थटन और स्टीवर्ट जैसे बड़े खिलाड़ियों सहित अन्य बल्लेबाजों का शरीर घावों से भर चूका था, शरीर पर कई जगह खून के थक्के दिखाई दे रहे थे.
62 गेंदों पर चले इस मैच में इंग्लैंड ने 17/3 का स्कोर बनाया था. इस मैदान पर सिर्फ 62 गेंदों के दौरान जितनी बाद फिजियों आया शायद इतना कभी पूरे टेस्ट में नहीं आते हैं.
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